hari bol....

hari bol....

Saturday, 26 February 2011

 बिना गुरु के कृष्ण की कोई दिशा नहीं मिल रही...उसके प्रेम में जो बांवरापन आना चाहिए वो नहीं आता..कुछ समझ  नहीं आ रहा...हे राधिके ! गुरु का वरदान दे.....कृष्णप्रेम की चरमसीमा दे...!! नमामि राधे नमामि कृष्णं !! 

Wednesday, 23 February 2011

 ऐसा कहते है कि जब तक बल्दाऊजी की और राधा रानी जी की कृपा दृष्टि नहीं होती तब तक किसी को गुरु की प्राप्ति नहीं होती क्योंकि गुरु की प्राप्ति अपने कर्मो का फल ना होकर इन ही दोनों का बिन माँगा वरदान होता है... कदाचित ये कृपा दृष्टि मुझ पर नहीं बरसी है.....  हे श्रीला! थोड़ी दृष्टि मुझ पर भी डालने की कृपा करें!!
!! राधे राधे !!
श्री चैतन्य महाप्रभुजी ने गोपी भाव से श्री कृष्ण को भजने की बात की है ! और उन्होंने आगे जाके यह भी कहा है के कृष्ण प्रेम की परिपक्वता तब है जब आप श्यामसुंदर को बालकृष्ण के रूप में भजने लग जाते है....कितनी गहराई है इस बात में, क्योंकि यह तभी संभव है जब मांगने की कुछ कामना शेष नहीं रहती.. अतिउत्तम !! किन्तु इसका अर्थ यह नहीं के आप गोपी भाव को त्याग दें , कृष्णप्रेम की पूर्णता क्या है वह गोपियाँ अपने  प्रेम से बता रहीं हैं..कि कृष्णप्रेम में तुम अपना, पराया, पति, पुत्र सब भूल जाते हो , और कृष्ण की लीलाओं का चिंतन करते करते आंसू रुकना बंद नहीं होते या फिर आनंद पल पल  बढ़ता रहता  है..


Sunday, 20 February 2011

!! hare krishn  !!

!! vasudev sutam devam kamsachanoor mardanam,
   Devki permanandam krishnam vande jagadgurum !!